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श्लोक 2.10.104  |
প্রভুর সন্ন্যাস দেখি’ উন্মত্ত হঞা
সন্ন্যস গ্রহণ কৈল বারাণসী গিযা |
प्रभुर सन्न्यास देखि’ उन्मत्त ह ञा ।
सन्न्यास ग्रहण कैल वाराणसी गिया ॥104॥ |
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अनुवाद |
देखकर कि श्री चैतन्य महाप्रभु ने संन्यास ग्रहण किया है, पुरुषोत्तम जी उन्मत्त हो उठे और शीघ्र ही संन्यास लेने के लिए वाराणसी चले गए। |
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