श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 9: भक्ति का कल्पवृक्ष  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  1.9.4 
শ্রী-রূপ, সনাতন, ভট্ট রঘুনাথ
শ্রী-জীব, গোপাল-ভট্ট, দাস-রঘুনাথ
श्री - रूप, सनातन, भट्ट रघुनाथ ।
श्री - जीव, गोपाल - भट्ट, दास - रघुनाथ ॥4॥
 
अनुवाद
मैं छहों गोस्वामियों का भी स्मरण करता हूँ - रूप, सनातन, भट्ट रघुनाथ, श्री जीवा, गोपाल भट्ट और दास रघुनाथ।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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