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श्लोक 1.9.3  |
জয জয শ্রীবাসাদি গৌর-ভক্ত-গণ
সর্বাভীষ্ট-পূর্তি-হেতু যাঙ্হার স্মরণ |
जय जय श्रीवासादि गौर - भक्त - गण ।
सर्वाभीष्ट - पूर्ति - हेतु याँहार स्मरण ॥3॥ |
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अनुवाद |
श्रीवास ठाकुर सहित चैतन्य महाप्रभु के सभी भक्तों को नमन! अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मैं उनके कमल चरणों का स्मरण करता हूँ। |
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