श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 9: भक्ति का कल्पवृक्ष  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  1.9.22 
সেই দুই-স্কন্ধে বহু শাখা উপজিল
তার উপশাখা-গণে জগত্ ছাইল
सेइ दुइ - स्कन्धे बहु शाखा उपजिल ।
तार उपशाखा - गणे जगत्छाइल ॥22॥
 
अनुवाद
इन दोनों तनों से अनेक शाखाएँ और उपशाखाएँ निकलीं, जो पूरे विश्व में फैल गईं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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