श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 9: भक्ति का कल्पवृक्ष  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  1.9.17 
স্কন্ধের উপরে বহু শাখা উপজিল
উপরি উপরি শাখা অসঙ্খ্য হ-ইল
स्कन्धेर उपरे बहु शाखा उपजिल ।
उपरि उपरि शाखा असङ्ख्य हइल ॥17॥
 
अनुवाद
तने से अनेक डलियाँ उगती हैं और उसके ऊपर अनेक उपशाखाएँ उगती हैं।
 
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.