श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 1: आदि लीला » अध्याय 9: भक्ति का कल्पवृक्ष » श्लोक 11 |
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| | श्लोक 1.9.11  | শ্রী-ঈশ্বরপুরী-রূপে অঙ্কুর পুষ্ট হৈল
আপনে চৈতন্য-মালী স্কন্ধ উপজিল | श्री - ईश्वरपुरी - रूपे अङ्कर पुष्ट हैल ।
आपने चैतन्य - माली स्कन्ध उपजिल ॥11॥ | | अनुवाद | श्री ईश्वरपुरी के रूप में भक्ति के बीज ने अंकुरित होकर फल दिया और फिर स्वयं माली श्री चैतन्य महाप्रभु, भक्ति रूपी वृक्ष का मुख्य तना बन गए। | | |
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