श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 8: लेखक का कृष्ण तथा गुरु से आदेश प्राप्त करना  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  1.8.7 
এই সব না মানে যেবা করে কৃষ্ণ-ভক্তি
কৃষ্ণ-কৃপা নাহি তারে, নাহি তার গতি
एइ सब ना माने येबा करे कृष्ण - भक्ति ।
कृष्ण - कृपा नाहि तारे, नाहि तार गति ॥7॥
 
अनुवाद
पंचतत्व की महिमा को ग्रहण न करके भी श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति-भाव दिखाने का ढोंग करने वाले व्यक्ति को भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त नहीं हो सकती और न ही वह अपने सर्वोच्च लक्ष्य की ओर बढ़ सकता है।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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