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श्लोक 5
श्लोक
1.8.5
মূক কবিত্ব করে যাঙ্-সবার স্মরণে
পঙ্গু গিরি লঙ্ঘে, অন্ধ দেখে তারা-গণে
मूक कवित्व करे याँ - सबार स्मरणे ।
पङ्गु गिरि लङ्घ, अन्ध देखे तारा - गणे ॥5॥
अनुवाद
पंचतत्व के चरणकमलों का स्मरण करने से मूक व्यक्ति कवि बन सकता है, लंगड़ा पर्वतों को पार कर सकता है और अंधा व्यक्ति आकाश के तारों को देख सकता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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