श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 8: लेखक का कृष्ण तथा गुरु से आदेश प्राप्त करना  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  1.8.38 
‘চৈতন্য-মঙ্গল’ শুনে যদি পাষণ্ডী, যবন
সেহ মহা-বৈষ্ণব হয ততক্ষণ
‘चैतन्य - मङ्गल’ शुने यदि पाषण्डी, यवन ।
सेह महा - वैष्णव हय ततक्षण ॥38॥
 
अनुवाद
अगर कोई भी बड़ा से बड़ा निरीश्वरवादी भी चैतन्य मंगल को सुने, तो वह तुरंत ही भक्त बन जाता है।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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