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श्लोक 27
श्लोक
1.8.27
প্রেমের উদযে হয প্রেমের বিকার
স্বেদ-কম্প-পুলকাদি গদ্গদাশ্রুধার
प्रेमेर उदये हय प्रेमेर विकार ।
स्वेद - कम्प - पुलकादि गद्गदाश्रुधार ॥27॥
अनुवाद
जब किसी में सचमुच भगवान की दिव्य प्रेमभक्ति जागृत होती है, तो उससे शरीर में पसीना आना, कँपकँपी आना, हृदय का तेजी से धड़कना, आवाज़ का रुंधना और आँखों में आँसुओं का आना जैसे बदलाव उत्पन्न होते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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