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श्लोक 1.8.13  |
অতএব পুনঃ কহোঙ্ ঊর্ধ্ব-বাহু হঞা
চৈতন্য-নিত্যানন্দ ভজ কুতর্ক ছাডিযা |
अतएव पुनः कहों ऊर्ध्व - बाहु हञा ।
चैतन्य - नित्यानन्द भज कुतर्क छाड़िया ॥13॥ |
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अनुवाद |
इसलिए मैं अपनी भुजाएँ उठाकर फिर कहता हूँ कि अरे भ्रात्रों! झूठी युक्तियों को छोड़कर श्री चैतन्य और नित्यानंद की पूजा करो! |
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