श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 8: लेखक का कृष्ण तथा गुरु से आदेश प्राप्त करना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  1.8.13 
অতএব পুনঃ কহোঙ্ ঊর্ধ্ব-বাহু হঞা
চৈতন্য-নিত্যানন্দ ভজ কুতর্ক ছাডিযা
अतएव पुनः कहों ऊर्ध्व - बाहु हञा ।
चैतन्य - नित्यानन्द भज कुतर्क छाड़िया ॥13॥
 
अनुवाद
इसलिए मैं अपनी भुजाएँ उठाकर फिर कहता हूँ कि अरे भ्रात्रों! झूठी युक्तियों को छोड़कर श्री चैतन्य और नित्यानंद की पूजा करो!
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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