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श्लोक 83
श्लोक
1.7.83
কৃষ্ণ-নাম-মহা-মন্ত্রের এই ত’ স্বভাব
যেই জপে, তার কৃষ্ণে উপজযে ভাব
कृष्ण - नाम - महा - मन्त्रेर एइ त स्वभाव ।
येइ जपे, तार कृष्णे उपजये भाव ॥83॥
अनुवाद
हरे कृष्ण महामंत्र का ऐसा स्वभाव है कि जो भी इसका जप करता है, उसके अंदर कृष्ण के लिए तुरन्त ही प्रेम उत्पन्न हो जाता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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