श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 1: आदि लीला » अध्याय 7: भगवान् चैतन्य के पाँच स्वरूप » श्लोक 66 |
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| | श्लोक 1.7.66  | পুছিল, তোমার নাম ‘শ্রী-কৃষ্ণ-চৈতন্য’
কেশব-ভারতীর শিষ্য, তাতে তুমি ধন্য | पुछिल, तोमार नाम ‘श्री - कृष्ण - चैतन्य’ ।
केशव - भारतीर शिष्य, ताते तुमि धन्य ॥66॥ | | अनुवाद | तब प्रकाशानंद सरस्वती ने कहा, "मेरी समझ में आपका नाम श्रीकृष्ण चैतन्य है। आप श्री केशव भारती के शिष्य हैं और इसलिए आप धन्य हैं।" | | |
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