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श्लोक 1.7.52  |
ইহা শুনি রহে প্রভু ঈষত্ হাসিযা
সেই কালে এক বিপ্র মিলিল আসিযা |
इहा शुनि रहे प्रभु ईषत् हासिया ।
सेइ काले एक विप्र मिलिल आसिया ॥52॥ |
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अनुवाद |
जब तपन मिश्र और चन्द्रशेखर श्री चैतन्य महाप्रभु से इस प्रकार बातचीत कर रहे थे, तो वे थोड़ा मुसकाये और चुप रहे। उसी समय एक ब्राह्मण वहाँ उनसे मिलने आया। |
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