|
|
|
श्लोक 1.7.4  |
পঞ্চ-তত্ত্ব অবতীর্ণ চৈতন্যের সঙ্গে
পঞ্চ-তত্ত্ব লঞা করেন সঙ্কীর্তন রঙ্গে |
पञ्च - तत्त्व अवतीर्ण चैतन्येर सङ्गे ।
पञ्च - तत्त्व लञा करेन सङ्कीर्तन रङ्गे ॥4॥ |
|
अनुवाद |
ये पाँच तत्व श्री चैतन्य महाप्रभु के साथ प्रकट होते हैं और इस तरह महाप्रभु बड़े हर्ष के साथ अपना संकीर्तन आंदोलन संपन्न करते हैं। |
|
|
|
✨ ai-generated |
|
|