श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 7: भगवान् चैतन्य के पाँच स्वरूप  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  1.7.33 
এত বলি’ মনে কিছু করিযা বিচার
সন্ন্যাস-আশ্রম প্রভু কৈলা অঙ্গীকার
एत बलि’ मने किछु करिया विचार ।
सन्यास - आश्रम प्रभु कैला अङ्गीकार ॥33॥
 
अनुवाद
इस प्रकार भगवान ने पूर्ण विचार करने के बाद संन्यास आश्रम धारण किया।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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