श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 7: भगवान् चैतन्य के पाँच स्वरूप  »  श्लोक 168
 
 
श्लोक  1.7.168 
এই ত’ কহিল পঞ্চ-তত্ত্বের ব্যাখ্যান
ইহার শ্রবণে হয চৈতন্য-তত্ত্ব জ্ঞান
एइ त कहिल पञ्च - तत्त्वेर व्याख्यान ।
इहार श्रवणे हय चैतन्य - तत्त्व ज्ञान ॥168॥
 
अनुवाद
इस प्रकार मैंने पंचतत्व के सच के बारे में समझाया है। जो इस समझ को सुनते हैं, उनका श्री चैतन्य महाप्रभु विषय का ज्ञान बढ़ता है।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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