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श्लोक 1.7.158  |
স্নান করিতে যবে যা’ন গঙ্গা-তীরে
তাহাঞি সকল লোক হয মহা-ভিডে |
स्नान करिते यबे या’न गङ्गा - तीरे ।
ताहाञि सकल लोक हय महा - भिड़े ॥158॥ |
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अनुवाद |
जब भी श्री चैतन्य महाप्रभु स्नान करने के लिए गंगा तट पर जाते थे, तब-तब लाखों लोगों की विशाल भीड़ वहाँ जमा हो जाती थी। |
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