श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 7: भगवान् चैतन्य के पाँच स्वरूप  »  श्लोक 153
 
 
श्लोक  1.7.153 
চন্দ্রশেখর, তপন মিশ্র, আর সনাতন
শুনি’ দেখি’ আনন্দিত সবাকার মন
चन्द्रशेखर, तपन मिश्र, आर सनातन ।
शुनि’ देखि’ आनन्दित सबाकार मन ॥153॥
 
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु के तर्कों को सुनकर तथा उनकी विजय देखकर चन्द्रशेखर, तपन मिश्र और सनातन गोस्वामी सभी बहुत ही खुश हुए।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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