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श्लोक 1.7.141  |
ভগবান্-প্রাপ্তি-হেতু যে করি উপায
শ্রবণাদি ভক্তি — কৃষ্ণ-প্রাপ্তির সহায |
भगवान्प्राप्ति - हेतु ये करि उपाय ।
श्रवणादि भक्ति कृष्ण - प्राप्तिर सहाय ॥141॥ |
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अनुवाद |
“केवल श्रवण से शुरू होकर भक्ति के द्वारा ही कोई व्यक्ति परम पुरुषोत्तम भगवान में पहुंच सकता है। उन तक पहुंचने का यही एकमात्र साधन है।” |
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