श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 7: भगवान् चैतन्य के पाँच स्वरूप  »  श्लोक 141
 
 
श्लोक  1.7.141 
ভগবান্-প্রাপ্তি-হেতু যে করি উপায
শ্রবণাদি ভক্তি — কৃষ্ণ-প্রাপ্তির সহায
भगवान्प्राप्ति - हेतु ये करि उपाय ।
श्रवणादि भक्ति कृष्ण - प्राप्तिर सहाय ॥141॥
 
अनुवाद
“केवल श्रवण से शुरू होकर भक्ति के द्वारा ही कोई व्यक्ति परम पुरुषोत्तम भगवान में पहुंच सकता है। उन तक पहुंचने का यही एकमात्र साधन है।”
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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