श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 1: आदि लीला » अध्याय 7: भगवान् चैतन्य के पाँच स्वरूप » श्लोक 117 |
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| | श्लोक 1.7.117  | জীব-তত্ত্ব — শক্তি, কৃষ্ণ-তত্ত্ব — শক্তিমান্
গীতা-বিষ্ণুপুরাণাদি তাহাতে প্রমাণ | जीव - तत्त्व - शक्ति, कृष्ण - तत्त्व - शक्तिमान् ।
गीता - विष्णुपुराणादि ताहाते प्रमाण ॥117॥ | | अनुवाद | "सभी जीव शक्तियाँ हैं, शक्तिमान नहीं। शक्तिमान तो कृष्ण हैं। इस बात का सटीक वर्णन भगवद्गीता, विष्णु पुराण और अन्य वैदिक साहित्यों में किया गया है।" | | |
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