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श्लोक 110
श्लोक
1.7.110
তাঙ্হার নাহিক দোষ, ঈশ্বর-আজ্ঞা পাঞা
গৌণার্থ করিল মুখ্য অর্থ আচ্ছাদিযা
ताँहार नाहिक दोष, ईश्वर - आज्ञा पाञा ।
गौणार्थ करिल मुख्य अर्थ आच्छादिया ॥110॥
अनुवाद
शंकराचार्य को दोष नहीं देना चाहिए, क्योंकि उन्होंने वेदों के वास्तविक अर्थ को सर्वोच्च भगवान के निर्देशों के तहत ही छुपाया है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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