श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 7: भगवान् चैतन्य के पाँच स्वरूप  »  श्लोक 106
 
 
श्लोक  1.7.106 
প্রভু কহে, বেদান্ত-সূত্র ঈশ্বর-বচন
ব্যাস-রূপে কৈল যাহা শ্রী-নারাযণ
प्रभु कहे, वेदान्त - सूत्र ईश्वर - वचन ।
व्यास - रूपे कैल याहा श्री - नारायण ॥106॥
 
अनुवाद
महाप्रभु ने कहा, "वेदान्त दर्शन श्री भगवान नारायण की वाणी है, जो व्यासदेव के रूप में प्रकट हुए हैं।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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