|
|
|
श्लोक 1.6.95  |
পৃথিবী ধরেন যেই শেষ-সঙ্কর্ষণ
কায-ব্যূহ করি’ করেন কৃষ্ণের সেবন |
पृथिवी धरेन येइ शेष - सङ्कर्षण ।
काय - व्यूह करि’ करेन कृष्णेर सेवन ॥95॥ |
|
अनुवाद |
अपने फनों पर समस्त ब्रह्माण्डों को धारण करने वाले शेष संकर्षण भगवान कृष्ण की सेवा में अपना विस्तार विविध शरीरों में करते हैं। |
|
|
|
✨ ai-generated |
|
|