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श्लोक 1.6.9  |
ইচ্ছায অনন্ত মূর্তি করেন প্রকাশ
এক এক মূর্তে করেন ব্রহ্মাণ্ডে প্রবেশ |
इच्छाय अनन्त मूर्ति करेन प्रकाश ।
एक एक मूर्ते करेन ब्रह्माण्डे प्रवेश ॥9॥ |
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अनुवाद |
वे अपनी इच्छा से अपने आपको अनेकों रूपों में प्रकट करते हैं और इन्हीं रूपों के माध्यम से वे हर एक ब्रह्माण्ड में प्रवेश करते हैं। |
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