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श्लोक 1.6.8  |
যে পুরুষ সৃষ্টি-স্থিতি করেন মাযায
অনন্ত ব্রহ্মাণ্ড সৃষ্টি করেন লীলায |
ये पुरुष सृष्टि - स्थिति करेन मायाय ।
अनन्त ब्रह्माण्ड सृष्टि करेन लीलाय ॥8॥ |
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अनुवाद |
वे पुरुष अपनी बाह्य शक्ति से सृजन और पालन करते हैं। अपनी लीलाओं के रूप में असंख्य ब्रह्मांडों की रचना करते हैं। |
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