श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 6: श्रीअद्वैत आचार्य की महिमाएँ अध्याय सात  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  1.6.8 
যে পুরুষ সৃষ্টি-স্থিতি করেন মাযায
অনন্ত ব্রহ্মাণ্ড সৃষ্টি করেন লীলায
ये पुरुष सृष्टि - स्थिति करेन मायाय ।
अनन्त ब्रह्माण्ड सृष्टि करेन लीलाय ॥8॥
 
अनुवाद
वे पुरुष अपनी बाह्य शक्ति से सृजन और पालन करते हैं। अपनी लीलाओं के रूप में असंख्य ब्रह्मांडों की रचना करते हैं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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