श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 6: श्रीअद्वैत आचार्य की महिमाएँ अध्याय सात  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  1.6.29 
ভক্তি-উপদেশ বিনু তাঙ্র নাহি কার্য
অতএব নাম হৈল ‘অদ্বৈত আচার্য’
भक्ति - उपदेश विनु ताँर नाहि कार्य ।
अतएव नाम हैल अद्वैत आचार्य ॥29॥
 
अनुवाद
भक्ति की शिक्षा देना ही उनका एकमात्र कार्य है इसलिए उनका नाम अद्वैत आचार्य है।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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