श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 6: श्रीअद्वैत आचार्य की महिमाएँ अध्याय सात  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  1.6.22 
সেই নারাযণের মুখ্য অঙ্গ, — অদ্বৈত
‘অঙ্গ’-শব্দে অṁশ করি’ কহে ভাগবত
सेइ नारायणेर मुख्य अङ्ग - अद्वैत ।
‘अङ्ग’ - शब्दे अंश करि’ कहे भागवत ॥22॥
 
अनुवाद
श्री अद्वैत नारायण के मुख्य अंग हैं, जैसे श्रीमद्भागवत में "अंग" को भगवान के "पूर्ण अंश" के रूप में वर्णित किया गया है।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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