श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 6: श्रीअद्वैत आचार्य की महिमाएँ अध्याय सात  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  1.6.17 
‘নিমিত্তাṁশে’ করে তেঙ্হো মাযাতে ঈক্ষণ
‘উপাদান’ অদ্বৈত করেন ব্রহ্মাণ্ড-সৃজন
‘निमित्तांशे’ करे तेंहो मायाते ईक्षण ।
‘उपादा न’ अद्वैत करेन ब्रह्माण्ड - सृजन ॥17॥
 
अनुवाद
भगवान विष्णु, अपने निमित्त रूप में भौतिक शक्ति का अवलोकन करते हैं जबकि श्री अद्वैत उपादान कारण के रूप में भौतिक जगत की सृष्टि करते हैं।
 
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.