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श्लोक 1.6.110  |
নানা-ভক্ত-ভাবে করেন স্ব-মাধুর্য পান
পূর্বে করিযাছি এই সিদ্ধান্ত ব্যাখ্যান |
नाना - भक्त - भावे करेन स्व - माधुर्य पान ।
पूर्व करियाछि एइ सिद्धान्त व्याख्यान ॥110॥ |
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अनुवाद |
वे भक्त के विविध भावों के माध्यम से स्वयं के रस का आनंद लेते हैं। मैंने पूर्व में ही इस सिद्धांत का वर्णन किया है। |
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