श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ  »  श्लोक 95
 
 
श्लोक  1.5.95 
ভিতরে প্রবেশি’ দেখে সব অন্ধকার
রহিতে নাহিক স্থান করিল বিচার
भितरे प्रवे शि’ देखे सब अन्धकार ।
रहिते नाहिक स्थान करिल विचार ॥95॥
 
अनुवाद
ब्रह्माण्ड में जाने पर उन्होंने केवल अँधेरा ही पाया, जहाँ रहने के लिए कोई जगह नहीं थी। तब वे इस प्रकार सोचने लगे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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