श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ  »  श्लोक 89
 
 
श्लोक  1.5.89 
আমি ত’ জগতে বসি, জগত্ আমাতে
না আমি জগতে বসি, না আমা জগতে
आमि त’ जगते वसि, जगतामाते ।
ना आमि जगते वसि, ना आमा जगते ॥89॥
 
अनुवाद
(भगवान् कृष्ण ने कहा:) "मैं भौतिक जगत् में वास करता हूं, और जगत् मुझमें टिका हुआ है। परन्तु इसके साथ ही में भौतिक संसार में विद्यमान नहीं हूं, न ही वह वास्तव में मुझमें टिका हुआ है।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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