श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ  »  श्लोक 61
 
 
श्लोक  1.5.61 
অতএব কৃষ্ণ মূল-জগত্-কারণ
প্রকৃতি — কারণ যৈছে অজা-গল-স্তন
अतएव कृष्ण मूल - जगत्कारण ।
प्रकृति कारण यैछे अजा - गल - स्तन ॥61॥
 
अनुवाद
इसलिए भगवान श्री कृष्ण ही इस ब्रह्मांड के प्रकट होने के मूल कारण हैं| प्रकृति तो बकरी के गले से लटकती हुई उन थनों के समान है जिससे दूध नहीं निकलता|
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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