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श्लोक 58
श्लोक
1.5.58
সেই ত’ মাযার দুই-বিধ অবস্থিতি
জগতের উপাদান ‘প্রধান’, প্রকৃতি
सेइ त मायार दुई - विध अवस्थिति ।
जगतेर उपादान ‘प्रधान’, प्रकृति ॥58॥
अनुवाद
माया के दो प्रकार के अस्तित्व हैं। एक को प्रधान या प्रकृति कहा जाता है। यह भौतिक संसार के सामानों (सामग्रियों) को प्रदान करता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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