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श्लोक 52
श्लोक
1.5.52
বৈকুণ্ঠ বেডিযা এক আছে জল-নিধি
অনন্ত, অপার — তার নাহিক অবধি
वैकुण्ठ बेड़िया एक आछे जल - निधि ।
अनन्त, अपार - तार नाहिक अवधि ॥52॥
अनुवाद
वैकुण्ठ के आसपास पानी का विशाल भण्डार है, जिसका कोई अंत नहीं है, जिसे मापा नहीं जा सकता है और जिसकी कोई सीमा नहीं है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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