श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  1.5.43 
চিচ্-ছক্তি-বিলাস এক — ‘শুদ্ধ-সত্ত্ব’ নাম
শুদ্ধ-সত্ত্ব-ময যত বৈকুণ্ঠাদি-ধাম
चिच्छक्ति - विलास एक - ‘शुद्ध - सत्त्व’ नाम ।
शुद्ध - सत्त्व - मयं व्रत वैकुण्ठादि - धाम ॥43॥
 
अनुवाद
आध्यात्मिक शक्ति की एक क्रिया को शुद्ध सत्व के रूप में बताया गया है। इसमें सारे वैकुण्ठ धाम शामिल हैं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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