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श्लोक 1.5.38  |
নির্বিশেষ-ব্রহ্ম সেই কেবল জ্যোতির্-ময
সাযুজ্যের অধিকারী তাঙ্হা পায লয |
निर्विशेष - ब्रह्म सेइ केवल ज्योतिर्मय ।
सायुज्येर अधिकारी ताँहा पाय लय ॥38॥ |
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अनुवाद |
वह निर्विशेष ब्रह्मतेज केवल भगवान् की प्रकाशमय किरणों से निर्मित है। जो सायुज्य मुक्ति के योग्य होते हैं वे उस तेज में विलीन हो जाते हैं। |
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