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श्लोक 1.5.31  |
ব্রহ্ম-সাযুজ্য-মুক্তের তাহা নাহি গতি
বৈকুণ্ঠ-বাহিরে হয তা’-সবার স্থিতি |
ब्रह्म - सायुज्य - मुक्तेर ताहा नाहि गति ।
वैकुण्ठ - बाहिरे हय ता’ - सबार स्थिति ॥31॥ |
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अनुवाद |
जिन्हें ब्रह्म-साक्षात्कार-प्राप्ति-मुक्तिका प्राप्रि होती है, वो वैकुण्ठ लोक में प्रवेश नहीं पा सकते। उनका निवास वैकुण्ठ लोक से पृथक होता है। |
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