श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ  »  श्लोक 229
 
 
श्लोक  1.5.229 
যাঙ্র প্রাণ-ধন — নিত্যানন্দ-শ্রী-চৈতন্য
রাধা-কৃষ্ণ-ভক্তি বিনে নাহি জানে অন্য
याँर प्राण - धन - नित्यानन्द - श्री - चैतन्य ।
राधा - कृष्ण - भक्ति विने नाहि जाने अन्य ॥229॥
 
अनुवाद
भगवान चैतन्य और प्रभु नित्यानंद उन वैष्णवों के प्राण हैं, जो श्री श्री राधा-कृष्ण की भक्ति के सिवा और कुछ नहीं जानते।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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