श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ  »  श्लोक 205
 
 
श्लोक  1.5.205 
জগাই মাধাই হৈতে মুঞি সে পাপিষ্ঠ
পুরীষের কীট হৈতে মুঞি সে লঘিষ্ঠ
जगाइ माधाइ हैते मुञि से पापिष्ठ ।
पुरीषेर कीट हैते मुञि से लघिष्ठ ॥205॥
 
अनुवाद
मैं जगाइ और माधाइ से भी अधिक पापी हूँ और गोबर के कीड़ों से भी निकृष्ट हूँ।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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