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लीला 1: आदि लीला
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अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ
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श्लोक 201
श्लोक
1.5.201
জয জয নিত্যানন্দ, জয কৃপা-ময
যাঙ্হা হৈতে পাইনু রূপ-সনাতনাশ্রয
जय जय नित्यानन्द, जय कृपा - मय ।
याँहा हैते पाइनु रूप - सनातनाश्रय ॥201॥
अनुवाद
कृपालु प्रभु नित्यानन्द की जय हो, जय हो, जिनकी कृपा से मैं श्री रूप और श्री सनातन के चरणों में शरण प्राप्त करने में सक्षम हुआ हूँ!
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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