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श्री चैतन्य चरितामृत
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लीला 1: आदि लीला
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अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ
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श्लोक 200
श्लोक
1.5.200
জয জয নিত্যানন্দ, নিত্যানন্দ-রাম
যাঙ্হার কৃপাতে পাইনু বৃন্দাবন-ধাম
जय जय नित्यानन्द, नित्यानन्द - राम ।
याँहार कृपाते पाइनु वृन्दावन - धाम ॥200॥
अनुवाद
सर्वश्री नित्यानन्द बलराम की जय हो, जिनकी दया से मैंने वृन्दावन के पारलौकिक धाम में आश्रय पाया है!
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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