श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  1.5.20 
চিন্তামণি-ভূমি, কল্প-বৃক্ষ-ময বন
চর্ম-চক্ষে দেখে তারে প্রপঞ্চের সম
चिन्तामणि - भूमि, कल्प - वृक्ष - मय वन ।
चर्म - चक्षे देखे तारे प्रपञ्चे र सम ॥20॥
 
अनुवाद
वहाँ की भूमि पर चिन्तामणि मौजूद है और जंगल कल्पवृक्षों से परिपूर्ण हैं। पर भौतिक आँखें इसे एक सामान्य जगह के तौर पर देखती हैं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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