श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 1: आदि लीला » अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ » श्लोक 186 |
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| | श्लोक 1.5.186  | সুবর্ণ-কুণ্ডল কর্ণে, স্বর্ণাঙ্গদ-বালা
পাযেতে নূপুর বাজে, কণ্ঠে পুষ্প-মালা | सुवर्ण - कुण्डल कर्णे, स्वर्णाङ्गद - वाला ।
पायेते नूपुर बाजे, कण्ठे पुष्प - माला ॥186॥ | | अनुवाद | उन्होंने अपने कानों में सोने के कुंडल पहने हुए थे, उनकी भुजाओं में सोने के बाजूबंद और कंगन थे। उन्होंने अपने पैरों में खनकती हुई पायल और अपने गले में फूलों की माला पहनी हुई थी। | | |
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