श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ  »  श्लोक 179
 
 
श्लोक  1.5.179 
এই ত’ কহিল তাঙ্র সেবক-প্রভাব
আর এক কহি তাঙ্র দযার স্বভাব
एइ त कहिल ताँर सेवक - प्रभाव ।
आर एक कहि ताँर दयार स्वभाव ॥179॥
 
अनुवाद
मैंने इस प्रकार भगवान् नित्यानन्द के सेवकों की सामर्थ्य का वर्णन किया है। अब मैं उनकी दया की एक और विशेषता का वर्णन करूँगा।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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