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श्लोक 1.5.178  |
ক্রুদ্ধ হৈযা বṁশী ভাঙ্গি’ চলে রামদাস
তত্-কালে আমার ভ্রাতার হৈল সর্ব-নাশ |
क्रुद्ध हैया वंशी भाङ्गि’ चले रामदास ।
तत्काले आमार भ्रातार हैल सर्व - नाश ॥178॥ |
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अनुवाद |
अतः श्री रामदास ने क्रोध में अपनी बाँसुरी तोड़ दी और वहाँ से चले गए और उसी समय मेरे भाई की मृत्यु हो गई। |
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