श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 1: आदि लीला » अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ » श्लोक 176 |
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| | श्लोक 1.5.176  | একেতে বিশ্বাস, অন্যে না কর সম্মান
“অর্ধ-কুক্কুটী-ন্যায” তোমার প্রমাণ | एकेते विश्वास, अन्ये ना कर सम्मान ।
“अर्ध - कुक्कुटी - न्याय” तोमार प्रमाण ॥176॥ | | अनुवाद | यदि तुम एक चीज पर विश्वास करते हो, परन्तु दूसरी चीज के प्रति तुम्हारा रवैया अपमानजनक है तो तुम्हारा तर्क “अर्ध कुक्कुटी न्याय” के समान है, जिसमें आधी मुर्गी का तक़ माना जाता है।* | | |
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