श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ  »  श्लोक 174
 
 
श्लोक  1.5.174 
ইহা জানি’ রামদাসের দুঃখ হ-ইল মনে
তবে ত’ ভ্রাতারে আমি করিনু ভর্ত্সনে
इहा जा नि’ रामदासेर दुःख हइल मने ।
तबे त’ भ्रातारे आमि करिनु भर्सने ॥174॥
 
अनुवाद
इसे जानकर श्री रामदास को मन-ही-मन खेद हुआ। तब मैंने अपने भाई को डांटा।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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