श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ  »  श्लोक 168
 
 
श्लोक  1.5.168 
গুণার্ণব মিশ্র নামে এক বিপ্র আর্য
শ্রী-মূর্তি-নিকটে তেঙ্হো করে সেবা-কার্য
गुणार्णव मिश्र नामे एक विप्र आर्छ ।
श्री - मूर्ति - निकटे तेंहो करे सेवा - कार्य ॥168॥
 
अनुवाद
एक माननीय ब्राह्मण जिसका नाम श्री गुणार्णव मिश्र था, वह भगवान की सेवा किया करता था।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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