श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 5: भगवान् नित्यानन्द बलराम की महिमाएँ  »  श्लोक 162
 
 
श्लोक  1.5.162 
আমার আলযে অহো-রাত্র-সঙ্কীর্তন
তাহাতে আইলা তেঙ্হো পাঞা নিমন্ত্রণ
आमार आलये अहोरात्र - सङ्कीर्तन ।
ताहाते आइला तेंहो पात्रा निमन्त्रण ॥162॥
 
अनुवाद
मेरे घर में रात दिन अखंड संकीर्तन चल रहा था, इसलिए उन्हें आमंत्रित किया गया और वे वहाँ पधारे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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